Tuesday 30 May 2017



मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन के शोर-शराबे से दूर , क्षिप्रा नदी के विस्तार तट में स्थित है, जो पर्यटकों तथा भक्तो को एक अविस्मर्णीय भावना प्रदान करता है | यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहा कभी पृथ्वी का मध्यान कहा गया था | इसलिए यह स्थान ग्रहों की स्थति के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध तथा उपुक्त माना गया है | मंगलनाथ मंदिर, मध्य प्रदेश की दिव्य नगरी उज्जैन में स्थित है | मत्स्य पुराण के अनुसार मंगलनाथ परिसर को मंगल का जन्म स्थान माना गया है | प्रभु मंगल के इष्टदेव भगवान शिव है | यह परिसर अपने दैवीय गुणों के कारण अत्यंत प्रसिद्ध है |


महाकालेश्वर मंदिर में भगवान् गणेश, माता पार्वती तथा कार्तिकेय की मूर्ति, क्रमश पश्चिम, उत्तर तथा पूर्व दिशा की ओर मुख किये विद्धमान है | दक्षिण दिशा की ओर भगवान् शंकर के वाहक नंदी की प्रतिमा विराजमान है | तृतीय माले पर स्थित भगवन नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा का दर्शन केवल नागपंचमी के दिन किया जा सकता है | मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है, तथा वातावरण अविस्मर्णीय है




मंगल दोष (Mangal Dosh)

मंगल ग्रह या मंगल ज्योतिष के अनुसार बिजली, ताकत, साहस और आक्रामकता का ग्रह है |ज्योतिष की दृष्टि से मंगल ग्रह को एक क्रूर ग्रह के रूप में देखा जाता है, तथा मंगल ग्रह को भगवान के रूप में माना जाता है | मंगल ग्रह आकाश में लाल रंग के खगोलीय शरीर के साथ वर्णित है | मंगल ग्रह के प्रकृति के वर्णन में उसे क्षत्रिय माना गया है, एक सुंदर और छोटे कद का व्यक्तित्व लिए है जिसके चार हाथ है जिनमे वह हथियार लिए है | शादी के संदर्भ में मंगल ग्रह की स्थिति का सर्वोच्च महत्व है क्योंकि यह आक्रामकता 

का प्रतीक है | पति, वैवाहिक गांठ, लिंग आदि में मंगल की स्थिति प्रभावित करती है | मंगल ग्रह विवाह की सकारात्मक या नकारात्मक स्थिति को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है | मंगल दोष एक ज्योतिषीय स्थिति है जो तब होता है यदि वैदिक ज्योतिष के जन्मांग चक्र के 1, 4, 7, 8 और 12वे घर में मंगल हो |


ऐसी स्थिति में पैदा हुआ जातक मांगलिक कहा जाता है | यह स्थति विवाह के लिए अत्यंत विनाशकारी मानी गयी है | संबंधो में तनाव, कार्य में असुविधा तथा नुक्सान और व्यक्ति की असामायिक मृत्यु का कारण मंगल को माना गया है | मंगल पूजा के द्वारा मंगल ग्रह को प्रसन्न किया जाता है,तथा उसके विनाशकारी प्रभावों को नियंत्रित किया जाता है, तथा सकारात्मक प्रभावों को बढ़ाया जाता है |




मंगल पूजा

मंगल पूजा और अनुष्ठान का उद्देश्य बाधाओं को हटाना है, जो मंगल दोष की शांति करके प्राप्त किया जाता है | विशिष्ट पूजा के द्वारा हम हानिकर बल से छुटकारा, सुख, शांति और समृद्धि पा सकते है | नए उद्यम शुरू करने में सकारात्मक कंपन पैदा करने के लिए, घर, नौकरी, व्यवसाय में बाधाएं दूर करने के लिए, शीघ्र स्वास्थ्य लाभ के लिए, नेतृत्व कौशल बढ़ाने के लिए हम साधना करके लाभ बढ़ा सकते हैं | सामान्य तरीकों में ध्यान, मंत्र जप, शांति, प्रार्थना शामिल हैं | उपवास या भगवान का नाम जप, धर्मदान. ये मनोरथ से किया जा सकता है | मंगल पूजा, मंगल ग्रह के लिए समर्पित है | मंगल शांति पूजा ऋण, गरीबी और त्वचा की समस्याओं से राहत के लिए लाभकारी है | इन कार्यों के परिणाम के लिए सक्षम हो हमें और अधिक गहरा आध्यात्मिक पूजा द्वारा लागू ऊर्जा आत्मसात करने के लिए मंगल पूजा करने की ज़रूरत है |


मंगलनाथ मंदिर परिसर, उज्जैन

 मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन के शोर-शराबे से दूर , क्षिप्रा नदी के विस्तार तट में स्थित है, जो पर्यटकों तथा भक्तो को एक अविस्मर्णीय भावना प्रदान करता है | यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहा कभी पृथ्वी का मध्यान कहा गया था | इसलिए यह स्थान ग्रहों की स्थति के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध तथा उपुक्त माना गया है | मंगलनाथ मंदिर, मध्य प्रदेश की दिव्य नगरी उज्जैन में स्थित है | मत्स्य पुराण के अनुसार मंगलनाथ परिसर को मंगल का जन्म स्थान माना गया है | प्रभु मंगल के इष्टदेव भगवान शिव है | यह परिसर अपने दैवीय गुणों के कारण अत्यंत प्रसिद्ध है |


मंगल ग्रह

अंधकासुर नामक दैत्य को शिवजी ने वरदान दिया था कि उसके रक्त से सैकड़ों दैत्य जन्म लेंगे। वरदान के बाद इस दैत्य ने अवंतिका में तबाही मचा दी। तब दीन-दुखियों ने शिवजी से प्रार्थना की। भक्तों के संकट दूर करने के लिए स्वयं शंभु ने अंधकासुर से युद्ध किया। दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ। शिवजी का पसीना बहने लगा। रुद्र के पसीने की बूँद की गर्मी से उज्जैन की धरती फटकर दो भागों में विभक्त हो गई और मंगल ग्रह का जन्म हुआ। शिवजी ने दैत्य का संहार किया और उसकी रक्त की बूँदों को नवउत्पन्न मंगल ग्रह ने अपने अंदर समा लिया। कहते हैं इसलिए ही मंगल की धरती लाल रंग की है। (स्कंध पुराण के अवंतिका खंड के अनुसार)
मंदिर में हर मंगलवार के दिन भक्तों का ताँता लगा रहता है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में ग्रह शांति करवाने के बाद ग्रहदोष खत्म हो जाता है। ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, द्वादश भाव में मंगल होता है, वे मंगल शांति के लिए विशेष पूजा अर्चना करवाते हैं।
मार्च में आने वाली अंगारक चतुर्थी के दिन मंगलनाथ में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन यहाँ विशेष यज्ञ-हवन किए जाते हैं। इस समय मंगल ग्रह की शांति के लिए लोग दूर-दूर से उज्जैन आते हैं। यहाँ होने वाली भात पूजा को भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। मंगल ग्रह को मूलतः मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी माना जाता है।
मंदिर में सुबह छह बजे से मंगल आरती शुरू हो जाती है। आरती के तुरंत बाद मंदिर परिसर के आसपास तोते मँडराने लगते हैं। जब तक उन्हें प्रसाद के दाने नहीं मिल जाते, वे यहीं मँडराते रहते हैं। यहाँ के पुजारी निरंजन भारती बताते हैं कि यदि हम प्रसाद के दाने डालने में कुछ देर कर दें, तो ये पंछी शोर मचाने लगते हैं। लोगों का विश्वास है कि पंछियों के रूप में मंगलनाथ स्वयं प्रसाद खाने आते हैं।


उज्जैन



उज्जैन को उज्जैनी और अवंतिकापुर के नामो से भी जाना जाता है | यह प्राचीन शहर, मध्य-भारत के मालवा प्रान्त के देवतुल्य
शिप्रा नदी के तट पर स्थित है | आज यह मध्य-प्रदेश का अंग है |
प्राचीन काल में इस शहर को उज्जैनी के नाम से जाना जाता था | महान महाभारत के काव्यलेख में भी हमें उज्जैनी का उल्लेख
मिलता है, तब यह अवंती राज्य की राजधानी थी | चौथी शताब्दी . पु. के बाद इस स्थान को पृथ्वी का मध्यान माना गया,
तथा खगोलीय शाश्त्र के अध्यान के लिए उपयूक्त माना गया |
उज्जैन हिन्दुओ के सात पवित्र शहर ( सप्त-पूरी ) में से एक है | यह स्थान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए प्रसिद्द है,
तथा हर १२ वर्षो के पच्यात यह कुम्भ मेले का आयोजन होता है | इसी स्थान से भगवान श्री कृष्ण, बलराम तथा मित्र सुदामा
को महर्षि सांदीपनी से शिक्षा मिली |



मंगलनाथ मंदिर परिसर, उज्जैन

मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन के शोर-शराबे से दूर , क्षिप्रा नदी के विस्तार तट में स्थित है, जो पर्यटकों तथा भक्तो को एक अविस्मर्णीय भावना प्रदान करता है | यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहा कभी पृथ्वी का मध्यान कहा गया था | इसलिए यह स्थान ग्रहों की स्थति के अध्ययन के लिए प्रसिद्ध तथा उपुक्त माना गया है | मंगलनाथ मंदिर, मध्य प्रदेश की दिव्य नगरी उज्जैन में स्थित है | मत्स्य पुराण के अनुसार मंगलनाथ परिसर को मंगल का जन्म स्थान माना गया है | प्रभु मंगल के इष्टदेव भगवान शिव है | यह परिसर अपने दैवीय गुणों के कारण अत्यंत प्रसिद्ध है |





परिसर स्थिति

मंगलनाथ मंदिर उज्जैन की आबादी और हलचल से दूर स्थित है और एक घुमावदार सड़क के माध्यम से पहुँचा जा सकता है. उज्जैन जंक्शन निकटतम रेलवे स्टेशन है. मंगल (Mars), नौ ग्रहों में से एक ग्रह है. मंगल (Mars) अंगारक तथा कुज के नाम से भी जाना जाता है. वैदिक एवं पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान मंगल की माता पृथ्वी देवी है | वह शक्ति, वीरता और साहस के साथ जुड़ा हुआ है | मंगलनाथ मंदिर कर्क रेखा पर स्थित है और इसे भारत वर्ष का नाभि स्थल भी कहा जाता है |

1 comment:

  1. Mangal shanti bhaat poojan ke liye sampark kre
    Contact :- 9806665870
    Pujari ajay bharti

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